उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर क्यों है इतना खास?
धार्मिक मान्यताओं के लिए मशहूर उज्जैन में 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक महाकाल मंदिर स्थित है. बाबा महाकाल के इस मंदिर के दर्शन करने दूर-दूर से हर साल लाखों की संख्या में भक्त यहां पहुंचते हैं. इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि भगवान शिव ने यहां दूषण नामक राक्षस का वध कर अपने भक्तों की रक्षा की थी, जिसके बाद भक्तों के निवेदन के बाद भोलेबाबा यहां विराजमान हुए थे. इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि भगवान शिव ने यहां दूषण नामक राक्षस का वध कर अपने भक्तों की रक्षा की थी, जिसके बाद भक्तों के निवेदन के बाद भोले बाबा यहां विराजमान हुए थे. इस मंदिर की खास बात यह है कि यह एक मात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है, जो दक्षिणमुखी है. मान्यता यह भी है कि महाकाल के दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है.
ऐसा माना जाता है कि विक्रमादित्य के समय से ही इस मंदिर के पास और शहर में कोई राजा या मंत्री रात नहीं गुजारता है. लोगों के मुताबिक एक लोक कथा के अनुसार भगवान महाकाल ही इस शहर के राजा हैं और उनके अलावा कोई और राजा यहां नहीं रह सकता है. बारह ज्योतिर्लिंगों में सिर्फ महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की ही भस्म आरती की जाती है. शिवपुराण के अनुसार कपिला गाय के गोबर से बने कंडे, शमी, पीपल, पलाश, बड़, अमलतास और बैर के पेड़ की लकड़ियों को जलाकर भस्म तैयार किया जाता है. फिर मंत्र-जप करते हुए भस्म को शुद्ध किया जाता है. और इसके बाद इस भस्म से महाकाल की आरती की जाती है.