पूजा शुरू करने से पहले क्यों लिया जाता है संकल्प ?
हिंदू धर्म में किसी भी धार्मिक कार्य को शुरू करने से पहले संकल्प लिया जाता है। पूजा विधि का ये भी एक अनिवार्य अंग होता है। कई विद्वानों के कहना है कि अगर सही विधि से पूजा-पाठ किया जाए तो व्यक्ति को उसके परिणाम बहुत जल्दी मिलते हैं। इसलिए पूजा से पहले संकल्प लिया जाना अनिवार्य होता है। आज हम आपको आपके दैनिक जीवन और संकल्प से जुड़े कुछ नियमों के बारे में बताएंगे, जिससे कि आपको सकरात्मक फल मिल सकते हैं।
कहते हैं कि अगर पूजा से पहले संकल्प न लिया जाए तो पूजा अधूरी रह जाती है और उसका फल भी नहीं मिलता है। ऐसी मान्यता है कि संकल्प के बिना की गई पूजा का सारा फल देवराज इन्द्र को प्राप्त हो जाता है। इसीलिए प्रतिदिन की पूजा में भी पहले संकल्प लेना चाहिए, फिर पूजन करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार संकल्प लेने का अर्थ है कि इष्टदेव और स्वयं को साक्षी मानकर संकल्प लिया जाता है कि हम यह पूजन कर्म विभिन्न मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए कर रहे हैं और इस पूजन को पूर्ण अवश्य करेंगे।
कहते हैं कि संकल्प लेते समय हाथ में जल लिया जाता है और भगवान गणेश का ध्यान किया जाता है, क्योंकि इस पूरी सृष्टि के पंचमहाभूतों (अग्रि, पृथ्वी, आकाश, वायु और जल) में भगवान गणपति जल तत्व के अधिपति हैं। इसीलिए श्रीगणेश को सामने रखकर संकल्प लिया जाता है। ताकि श्रीगणेश की कृपा से पूजन कर्म बिना किसी बाधा के पूर्ण हो जाएं।