हिन्दू धर्म में मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व है. आइए आज के लेख में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी से जुड़ी एक पौराणिक कथा के बारे में आपको बताते हैं,क्या आप जानते हैं कि एक बार मां लक्ष्मी जी ने भगवान विष्णु को रुला दिया था.
भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पौराणिक कथा
कथाओं के अनुसार, एक समय भगवान विष्णु धरती भ्रमण के लिए जा रहे थे. तब माता लक्ष्मी ने भी भगवान विष्णु के साथ धरती भ्रमण के लिए साथ चलने की इच्छा प्रकट की. तब भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी से कहा कि वे उनके साथ चल सकती हैं, लेकिन उनकी एक शर्त है. तब माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु से उनकी शर्त पूछी, तब भगवान विष्णु ने उत्तर दिया कि धरती पर चाहे कैसी भी स्थिति क्यों न आ जाए, लेकिन उन्हें उत्तर दिशा की तरफ नहीं देखना है. मां लक्ष्मी ने भगवान विष्णु की शर्त मान ली और उनके साथ चल पड़ीं.
जब भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी धरती का भ्रमण कर रहे थे, तब मां लक्ष्मी की नजरें उत्तर दिशा की तरफ गईं. वहां इतनी ज्यादा हरियाली और मनमोहक बगीचे थे कि मां लक्ष्मी स्वयं को रोक नहीं पाईं और बगीचे की तरफ चल पड़ी. बगीचे से उन्होंने एक फूल तोड़ा और वापस भगवान विष्णु के पास आ गईं. भगवान विष्णु मां लक्ष्मी को देखते ही रो पड़े. तब मां लक्ष्मी को विष्णु जी की शर्त याद आई और उनको एहसास हुआ कि उन्होंने गलती की है. भगवान विष्णु ने कहा कि बिना किसी से पूछे उसकी किसी भी चीज को छूना या उपयोग करना अपराध है.
मां लक्ष्मी ने भगवान विष्णु से अपने किए की माफी मांगी, लेकिन भगवान विष्णु ने कहा कि आपकी गलती की माफी तो सिर्फ बगीचे का माली ही दे सकता है, तब भगवान विष्णु ने कहा कि मां लक्ष्मी को माली के घर दासी बनकर रहना होगा. भगवान विष्णु के वचन सुनते ही मां लक्ष्मी ने तुरंत ही एक गरीब स्त्री का वेश धारण किया और माली के घर चली गई.
माली ने भी मां लक्ष्मी को गरीब स्त्री समझ कर काम पर रख लिया और उनसे अपने खेत और घर में बहुत काम कराया. लेकिन जब माली को पता चला कि वो गरीब स्त्री कोई और नहीं बल्कि स्वयं मां लक्ष्मी हैं, तब वो अपराध भाव के कारण रोने लगा और उसने मां लक्ष्मी से प्रार्थना की कि जो भी उसने उनके साथ किया है उसके लिए मां लक्ष्मी उसे माफ कर दें. तब मां लक्ष्मी ने मुस्कुराते हुए माली से कहा कि जो भी हुआ वो नियति थी, इसमें तुम्हारा कोई दोष नहीं है.
लेकिन माली ने जिस तरह से लक्ष्मी जी को अपने घर का सदस्य समझकर उनसे व्यवहार किया इसके लिए मां लक्ष्मी ने उस माली को आजीवन सुख-समृद्धि से परिपूर्ण रहने का वरदान दिया. उन्होंने कहा कि अब जीवन में उसको और उसके परिवार को किसी भी तरह का दुख नहीं भोगना पड़ेगा. इसके बाद मां लक्ष्मी विष्णु लोक वापस चली गई.