सोम प्रदोष व्रत कथा और महत्‍व

0 20

सोम प्रदोष व्रत कथा: सोम प्रदोष व्रत का सभी प्रदोष व्रत में अधिक महत्व बताया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रत्‍येक माह की त्रयोदशी तिथि में सायंकाल को प्रदोष काल में प्रगोष व्रत का पूजन किया जाता है। मान्यता है कि प्रदोष के समय महादेव कैलास पर्वत के रजत भवन में इस समय नृत्य करते हैं और देवता उनके गुणों का स्तवन करते हैं। ऐसे में जो भी जातक यह व्रत करते हैं भोलेनाथ की कृपा से उनकी सभी मनोवांछ‍ित कामनाओं की पूर्ति होती । मान्‍यता है क‍ि सोमवार के दिन प्रदोष व्रत को करके जो भक्त प्रदोष काल के समय भगवान शिव की पूजा करते है उनके सभी पाप शिवजी नष्ट कर देते हैं और शिव भक्ति को प्राप्त भक्त उत्तम स्थान और सुख पाता है, जैसा कि सोम प्रदोष व्रत की कथा में बताया गया है।

सोम प्रदोष व्रत की पौराण‍िक कथा

सोम प्रदोष व्रत कथा के अनुसार, एक नगर में एक ब्राह्मणी रहती थी। उसके पति का स्वर्गवास हो गया था। उसका अब कोई आश्रयदाता नहीं था इसलिए प्रात: होते ही वह अपने पुत्र के साथ भीख मांगने निकल पड़ती थी। भिक्षाटन से ही वह स्वयं व पुत्र का पेट पालती थी। एक दिन ब्राह्मणी घर लौट रही थी तो उसे एक लड़का घायल अवस्था में कराहता हुआ मिला। ब्राह्मणी दयावश उसे अपने घर ले आई। वह लड़का विदर्भ का राजकुमार था। शत्रु सैनिकों ने उसके राज्य पर आक्रमण कर उसके पिता को बंदी बना लिया था और राज्य पर नियंत्रण कर लिया था इसलिए इधर-उधर भटक रहा था। राजकुमार ब्राह्मण-पुत्र के साथ ब्राह्मणी के घर रहने लगा। तभी एक दिन अंशुमति नामक एक गंधर्व कन्या ने राजकुमार को देखा तो वह उस पर मोहित हो गई। अगले दिन अंशुमति अपने माता-पिता को राजकुमार से मिलाने लाई। उन्हें भी राजकुमार भा गया। कुछ दिनों बाद अंशुमति के माता-पिता को शंकर भगवान ने स्वप्न में आदेश दिया कि राजकुमार और अंशुमति का विवाह कर दिया जाए। उन्होंने वैसा ही किया।

सोम प्रदोष व्रत कथा महात्म्य

ब्राह्मणी प्रदोष व्रत करती थी। उसके व्रत के प्रभाव और गंधर्वराज की सेना की सहायता से राजकुमार ने विदर्भ से शत्रुओं को खदेड़ दिया और पिता के राज्य को पुन: प्राप्त कर आनंदपूर्वक रहने लगा। राजकुमार ने ब्राह्मण-पुत्र को अपना प्रधानमंत्री बनाया। ब्राह्मणी के प्रदोष व्रत के महात्म्य से जैसे राजकुमार और ब्राह्मण-पुत्र के दिन फिरे, वैसे ही शंकर भगवान अपने दूसरे भक्तों के दिन भी फेरते हैं। अत: सोम प्रदोष का व्रत करने वाले सभी भक्तों को यह कथा अवश्य पढ़नी अथवा सुननी चाहिए।

सोम प्रदोष के द‍िन भोलेनाथ के अभिषेक रुद्राभिषेक और श्रृंगार का व‍िशेष महत्व है। इस द‍िन सच्‍चे मन से भोलेनाथ की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। लड़का या लड़की की शादी-विवाह की अड़चनें दूर होती है। संतान की इच्छा रखने वाले लोगों को इस दिन पंचगव्य से महादेव का अभिषेक करना चाहिए। वहीं ऐसे जातक ज‍िन्‍हें लक्ष्मी प्राप्ति और कर‍ियर में सफलता की कामना हो, उन्हें दूध से अभिषेक करने के बाद शिवलिंग पर फूलों की माला अर्पित करनी चाहिए। मान्‍यता है क‍ि ऐसा करने से भोलेनाथ अत्‍यंत प्रसन्‍न होते हैं।
Leave A Reply

Your email address will not be published.