श्री सत्य नारायण व्रत कथा

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सत् नारायण भगवान (Satyanarayan) की कथा का उल्लेख स्कंद पुराण (Skand Puran) के विवाह खंड में किया गया है. ऐसा माना जाता है कि ये कथा करने वाले व्यक्ति के सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं. साथ ही यह कथा अनेकों प्रकार से अपनी उपयोगिता भी सिद्ध करती है. भगवान सत्य नारायण की कथा से समाज के सभी वर्ग को सत्य की शिक्षा मिलती है. पूरे भारत (India) में इस कथा को पूर्ण भक्ति भाव से करने वाले अनगिनत लोग हैं. जो इस कथा और व्रत के नियमों का पालन करते हैं. सत्य नारायण भगवान की व्रत कथा गुरुवार (Thursday) को की जा सकती है. ऐसा माना जाता है कि सत्य नारायण भगवान की कथा भगवान विष्णु के सत्य स्वरूप की कथा है.

पंचांग के अनुसार हर पूर्णिमा को सत्य नारायण भगवान की पूजा उपासना की जाती है. इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु के नारायण स्वरूप की पूजा की जाती है.

ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से जीवन के सभी दुख और दरिद्रता का नाश होता है और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है. इस कथा के दो प्रमुख विषय हैं जिनमें एक है संकल्प को भूलना और दूसरा है भगवान सत्यनारायण के प्रसाद का अपमान. सत्यनारायण व्रत कथा में अलग-अलग अध्याय में छोटी-छोटी कहानियों के माध्यम से सत्य का पालन न करने पर किस तरह की परेशानियां आती हैं यह बताया गया है.

सत्य नारायण कथा का महत्व
सत्य को ही नारायण के रूप में पूजना सत्यनारायण की पूजा है. इसका अर्थ यह भी है कि संसार में एकमात्र हरिनारायण ही सत्य हैं बाकी सब माया है. सत्य में ही सारा जगत समाया हुआ है. सत्य के सहारे ही शिव भगवान पृथ्वी को धारण करते हैं. सत्य को ईश्वर मानकर निष्ठा के साथ समाज के किसी भी वर्ग का व्यक्ति इस व्रत कथा को सुनता है तो उसे उसकी इच्छा के अनुरूप फल प्राप्त होता है.

सत्य नारायण कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान श्री हरि विष्णु शिव सागर में विश्राम कर रहे थे उस समय नारद वहां पधारे, नारद को देख भगवान विष्णु ने उनसे पूछा कि- हे महर्षि आपके आने का प्रयोजन क्या है? तब नारद जी श्री हरि विष्णु से बोले कि प्रभु आप तो पालनहार हैं सर्व ज्ञाता हैं मुझे कोई ऐसा सरल और छोटा उपाय बताएं जिसे करने से पृथ्वी वासियों का कल्याण हो. उनकी बात सुनकर भगवान विष्णु बोले- हे देवर्षि! जो व्यक्ति सांसारिक सुखों को भोगना चाहता है और मरणोपरांत स्वर्ग जाना चाहता है उसे सत्य नारायण पूजा अवश्य करनी चाहिए.

भगवान विष्णु ने देव ऋषि नारद को सत्य नारायण कथा की पूरी जानकारी दी भगवान विष्णु के द्वारा बताए गए सारे वृतांत को मुनि वेदव्यास ने स्कंद पुराण में वर्णित कर दिया. इसके बाद सुखदेव मुनि द्वारा ऋषियों को इस व्रत के बारे में बताया गया और सत्यनारायण कथा का व्रत जितने भी लोगों ने किया, जैसे बूढ़ा लकड़हारा, धनवान सेठ, ग्वाला और लीलावती-कलावती इन सभी की कहानी सत्य नारायण कथा का भाग बनी.

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