श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग उत्पत्ति पौराणिक कथा
भारत में भगवान भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंगों में से 10वां ज्योतिर्लिंग नागेश्वर ज्योतिर्लिंग माना जाता है. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास बहुत पुराना है. यह ज्योतिर्लिंग भारत के गुजरात राज्य में द्वारकापुरी से 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. द्वारकापुरी में नागेश्वर ज्योतिर्लिंग परिसर में भगवान शिव की एक बहुत बड़ी ध्यान मुद्रा में विशाल प्रतिमा बनाई गई है. जिसकी वजह से यह मंदिर 3 किलोमीटर दूर से ही दिखाई देने लगता है. भगवान भोलेनाथ की मूर्ति करीब 80 फीट ऊंची और 25 फीट चौड़ी है इस मंदिर का मुख्य द्वार अत्यंत साधारण और सुंदर बनाया गया है.
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का महत्व व इतिहास
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग को भगवान शिव के 10 ज्योतिर्लिंग के रूप में जाना जाता है. मान्यताओं के अनुसार नागेश्वर का मतलब नागों का ईश्वर या नागों का देवता वासुकी है जो भगवान शिव के गले में माला के रूप में रहता है. मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर में दर्शन करने मात्र से सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति पाई जा सकती है. हिंदू धार्मिक पौराणिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से सभी प्रकार के पापों से भी मुक्ति प्राप्त की जा सकती है. ऐसा माना जाता है कि यह प्राचीन और प्रमुख मंदिर केवल भगवान शिव को समर्पित किया गया है. यहां पर शिवजी की श्रद्धा पूर्वक पूजा नागेश्वर के रूप में की जाती है.
हिंदू धार्मिक मान्यताओं की माने तो यह मंदिर भगवान शिव को नागों के देवता के रूप में जाना गया है. नागेश्वर का अर्थ होता है नागों का ईश्वर पुरानी धार्मिक कथाओं में ज्योतिर्लिंग के दर्शन की बड़ी महिमा बताई गई है. ये मंदिर सुबह 5:00 बजे आरती के साथ ही खुल जाता है लेकिन यहां भक्तों को प्रवेश सुबह 6:00 बजे मिलता है. इस मंदिर में पुजारियों द्वारा कई अलग-अलग विधियों से भगवान शिव की श्रद्धा पूर्वक पूजा और अभिषेक किया जाता है. ये मंदिर सावन के महीने में इसके अलावा भगवान शिव के त्योहारों पर विशेष अवसरों पर काफी अधिक समय तक खुला रहता है.