पटन देवी मंदिर
पटना का पटन मंदिर बड़ी आस्था का केंद्र है। नवरात्रि पर यहां लोग दूर-दूर से पूजा करने आते हैं। यह मंदिर देश के 51 शक्तिपीठों में शामिल है। यहां महाकाली महासरस्वती और महालक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित है।
पटना सिटी के पश्चिम में बड़ी और पूर्व में छोटी पटनदेवी शक्तिपीठ श्रद्धालुओं के लिए आस्था का बड़ा केंद्र है।
देश के 51 शक्तिपीठों में नगर रक्षिका के रूप में पटना सिटी स्थित बड़ी और छोटी पटन देवी शक्तिपीठ की अपनी महत्ता है। यहां आदिकाल से विधि-विधान के साथ मां की पूजा हो रही है। दूसरे राज्यों से भी श्रद्धालु मां के दर्शन करने आते हैं। दुर्गापूजा के दौरान मां के दर्शन को लेकर श्रद्धालुओं की घंटों लंबी कतार में खड़े होकर दर्शन प्राप्त होता है।
दुर्गा पूजा के दौरान नगर रक्षिका मां दुर्गा भ्रमण करती हैं। मंदिर परिसर में ही योनिकुंड है, जिसके विषय में मान्यता है कि इसमें डाली जाने वाली हवन सामग्री भूगर्भ में चली जाती है।
मंदिर में महाकाली, महासरस्वती और महालक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित है। संगमरमर के पत्थरों से मंदिर परिसर की भव्यता भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करती है। देवी को प्रतिदिन दिन में कच्ची और रात में पक्की भोज्य सामग्री का भोग लगता है।
मंदिर के इतिहास की बात करें तो मान्यता है कि मां सती की दाहिनी जंघा यहां पर गिरी थी। बाद में शक्तिपीठ के रूप में विख्यात हुई। इसके अलावा, यह मंदिर मंत्र सिद्धि के लिए प्रसिद्ध है।
बड़ी पटन देवी मंदिर के महंत विजय शंकर गिरि ने बताया कि सैकड़ों साल पहले प्राचीन मंदिर में यहां सती की जंघा कटकर गिरा था। यहां भगवती का रूप सर्वानंदकारी और भैरव व्योमकेश हैं। यहां सदियों से महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की पूजा हो रही है। चैत्र व शारदीय नवरात्र के समय बड़ी पटन देवी मंदिर में दूर-दूर से भक्त पूजा-अर्चना करने आते हैं।
बता दें कि बड़ी पटन देवी मंदिर में सैकड़ों साल पहले से वैदिक पूजा सार्वजनिक होती आ रही है। वहीं, तांत्रिक पूजा भी होती है। भगवती का पट नवरात्र के दौरान आठ से दस मिनट के लिए बंद रहता है। आधी रात के समय पूजा के बाद मंदिर का पट खुलते ही ढाई बजे आरती होती है।
ऐसे पहुंचे मंदिर,
पटना जंक्शन से बड़ी पटनदेवी जाने के लिए ऑटो और बस की सुविधा है। पटना साहिब स्टेशन उतरकर ऑटो से श्रद्धालु मंदिर पहुंच सकते हैं। गांधी मैदान से अशोक राजपथ में अनुमंडल कार्यालय की ओर बढ़ने पर दाहिनी ओर बड़ी पटनदेवी का बड़ा द्वार बना है। गायघाट से आधा किलोमीटर पैदल या वाहन से मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
श्रद्धालुओं के लिए की गई बेहतर व्यवस्था,
वहीं, श्रद्धालु संतोष कुमार शर्मा कहते हैं कि नवरात्र के मौके पर मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। मंदिर समिति की ओर से श्रद्धालुओं के लिए बेहतर व्यवस्था की गई है, जिससे पूजन के दौरान कोई परेशानी न हो।
संतोष कुमार ने कहा कि श्रद्धालुओं से अपेक्षा है कि वे भी शांतिपूर्वक पूजन-पाठ करते हुए नियमों का पालन करें। इससे आयोजकों के साथ-साथ भक्तों को भी सहूलियत होगी।