कैसे पड़ा इस ज्योतिर्लिंग का नाम सोमनाथ? बड़ी रोचक है पौराणिक कथा

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देवों के देव महादेव को प्रसन्न करने का सबसे बड़ा माध्यम है शि​वलिंग पूजा. वैसे तो देशभर में लाखों शिवालय हैं, जिनमें भक्त पूजा करते हैं और भोलेनाथ की आराधना करते हैं लेकिन, कुल 12 ज्योतिर्लिंग ऐसे हैं जो धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माने गए हैं लेकिन एक ज्योतिर्लिंग ऐसा भी है जिसे पहला ज्योतिर्लिंग माना गया है और इसका नाम सोमनाथ है. यह ज्योतिर्लिंग गुजरात में स्थित है,

सोमनाथ नाम से जुड़ी ज्योतिर्लिंग की कथा
पुराणों के अनुसार, गुजरात में ज्योतिर्लिंग का नाम सोमनाथ होने के पीछे बड़ी ही रोचक ​क​था है. शिवपुराण के अनुसार, दक्ष प्रजा​पति की 27 पुत्रियों का विवाह चंद्र देवता से हुआ था, लेकिन चंद्र देव सिर्फ रोहिणी से प्रेम करते थे और अन्य सभी की उपेक्षा करते थे. इसके चलते प्रजापति दक्ष ने चंद्र देव को श्राप दिया कि उनकी रोशनी दिन-ब-दिन कमजोर पड़ती जाएगी.

प्रजापति दक्ष के इस श्राप के कारण चंद्र देव की रोशनी घटने लगी और वे धीरे धीरे बीमार भी पड़ने लगे जिसके बाद वे महादेव की शरण में पहुंचे और इस श्राप से मुक्ति दिलाने का आग्रह किया. चंद्र देव ने भोलेनाथ की खूब भक्ति भी की, जिसे देख महादेव प्रसन्न हुए और उन्हें इस श्राप से ना सिर्फ मुक्ति दिलाई बल्कि उन्हें अपने माथे पर सुशोभित कर लिया.

इसके बाद चंद्र देव ने भगवान शिव से इस स्थान पर एक ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित होने का आग्रह किया. चूंकि, चंद्रमा को सोम नाम से भी जाना जाता है और जब चंद्र देव ने महादेव की तपस्या की तो उन्हें अपना नाथ माना. ऐसे में जब यहां ज्योतिर्लिंग स्थापित हुआ तो उसे सोमनाथ नाम से जाना गया.

सोमनाथ का पौराणिक महत्व:
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग को सभी ज्योतिर्लिंग में प्रथम ज्योतिर्लिंग माना जाता है और यह शिव भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण जगह है. ऐसा माना जाता है कि यहां स्थित सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस मंदिर को कई बार ध्वस्त किया गया और फिर से निर्मित हुआ, लेकिन इसकी महिमा और आस्था आज भी बरकरार है.
सोमनाथ मंदिर का महत्व
सोमनाथ मंदिर का इतिहास भी बहुत समृद्ध और विविधता से संपन्न है. इस मंदिर को लूटने और गिराने के लिए कई बार आक्रमणकारियों ने आक्रमण कर नष्ट किया, लेकिन हर बार इसे भक्तों ने पुनः निर्माण किया. इस मंदिर का वास्तुशिल्प और धार्मिक महत्व पूरे भारत में ही नहीं दुनियाभर में प्रसिद्ध है.
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