कर्म के पीछे भावना का बड़ा महत्व है :क्या है जाने यहाँ

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“डॉ. पदमचंद्र “

जैन संत डॉ. पदमचंद्र महाराज ने कहा, कि कर्म के पीछे भावना का बड़ा महत्व है। क्रिया समान हो सकती है, मगर भावना में अंतर होता है। उन्होंने कहा, कि कलेजे को चीरने वाले दो व्यक्ति होते हैं, एक प्राणदाता और दूसरा प्राण संहारक। कलेजे को चीरने वाला डॉक्टर रोगी के लिए प्राणदाता हो जाता है। इसी तरह प्राण संहारक हत्यारा हो जाता है। वे शनिवार को सरदारपुरा स्थित कोठारी भवन में धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा, कि क्रिया के साथ राग व द्वेष का संबंध होने पर शुभ-अशुभ कर्म बंधते हैं। कई बार क्रिया गौण हो जाती है और भाव मुख्य हो जाता है। भावों पर ही तो सारा खेल है। भाव व्यक्ति के भवों को घटाने और बढ़ाने, सुधारने अौर बिगाड़ने का काम करते हैं। भगवान महावीर ने भवों के पापों का नाश करने के लिए भावना को निर्मल रखने का उपदेश दिया है।

रागी अवगुणों को गुण और द्वेषी गुणों से नफरत करता है

संत ने कहा, कि रागी अवगुणों को गुण मानता है और द्वेषी गुणों से नफरत करता है। जैसे नशेड़ी को अफीम कड़वी होने के बावजूद मिश्री और गुड़ से भी अधिक अच्छी लगती है, क्योंकि वह रागी है। इसी तरह भगवान श्रीकृष्ण को भक्त प्यार करते थे, जबकि उनके द्वेष रखने वाला कंस उन्हें मारने के य| करता था। भगवान महावीर ने कहा था, तुम दर्पण में बार-बार मुख मत निहारो, क्योंकि तुम्हें अपने स्वयं से एवं दर्पण से राग होगा।

सरदारपुरा स्थित कोठारी भवन में आयोजित धर्मसभा में संत ने भावना को निर्मल रखने पर जोर दिया

मुनि संबुद्ध सागर महाराज ने कहा, कि इस कलियुग में भगवान का साक्षात दर्शन करना हो तो माता-पिता को देख लेना। उन्होंने कहा, कि भले ही दुनिया भर के सारे ग्रह-नक्षत्र, देवी-देवता, भूत प्रेम आपके खिलाफ हो जाएं, लेकिन मां ने दिल से दुआ दे दी तो बाल भी बांका नहीं होगा। उन्होंने कहा, कि यदि माता-पिता का दिल दुखा दिया तो भगवान भी चाहे तो आप एक क्षण के लिए सुखी नहीं रह सकते। उन्होंने कहा, कि बच्चों के लिए जीवन के हर सुख कुर्बान कर देने वाली मां की दुआ तो हजारों तपस्वियों की दुआ से भी बढ़कर है। जो व्यक्ति बुजुर्गों की दुआ लेता है, सफलताएं उनके पीछे चलती है। माता-पिता की सेवा से बड़ा सुख संसार में न कभी था न कभी होगा। भगवान राम सिर्फ इसलिए अमर हुए, क्योंकि उन्होंने पिता के वचन की पालना के लिए खुद के सुखों को दांव पर लगा दिया। उन्होंने कहा, कि अगर लोग अपने माता-पिता की सलाह पर चलना सीख लें तो जिंदगी में कभी ठोकर नहीं लगेगी और जिंदगी संवर जाएगी।

 

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