जगन्नाथ महाप्रभु का रहस्य जाने यहाँ

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हिंदुओं का प्रमुख तीर्थ स्थल कहे जाने वाले जगन्नाथ पुरी मंदिर को न केवल देशभर में प्रसिद्धि मिली हुई है, बल्कि दुनियाभर में जगन्नाथ रथ यात्रा का आयोजन भी जोरों-शोरों से किया जाता है। जिसमें विदेशी भी जमकर हिस्सा लेते हैं। हिंदू धर्म में चार धाम (बद्रीनाथ, द्वारिका, रामेश्वरम और पुरी) को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है, जिसमें एक जगन्नाथ पुरी यात्रा भी शामिल है। कहते हैं कि जगन्नाथ पुरी मंदिर की तमाम विशेषताएं हैं, जो इसे सबसे अलग बनाती हैं।
माना जाता है कि मंदिर से जुड़ी ऐसी कई कहानियां हैं, जो सर्दियों से आज तक एक रहस्य ही बनी हुई हैं। ऐसा बताया जाता है कि मंदिर के ऊपर से कोई भी विमान नहीं उड़ा सकता और तो और पक्षी भी उड़ने से डरते हैं। जानना चाहते हैं, ऐसा क्यों होता है, तो चलिए आपको बताते हैं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्विष्णु जब चारों धाम पर बसे, तो सबसे पहले बद्रीनाथ पहुंचे, जहां उन्होंने स्नान किया, फिर इसके बाद जब वो गुजरात गए, तो उन्होंने वहां कपड़े बदले। आगे भगवान ओडिशा के पुरी पहुंचे, जहां उन्होंने खाना खाया और आखिर में भगवान विष्णु तमिलनाडु के रामेश्वरम पहुंचे, जहां उन्होंने आराम किया। हिंदू धर्म में धरती का बैकुंठ कहे जाने वाले जगन्नाथ पुरी को बेहद ही खास महत्व समझा जाता है। यहां भगवान श्री कृष्ण सुभद्रा और बलराम जी की रोज विधि-विधान के साथ पूजा होती है।

ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु जी ने जब शरीर के शरीर त्याग करने के बाद, उनका अंतिम संस्कार किया गया, तब शरीर के एक हिस्से को छोड़ उनका सारा शरीर पंच तत्व में मिल गया। कहते हैं भगवान श्री कृष्ण का दिल उस दौरान धड़क रहा था, जो आज भी भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा के अंदर सुरक्षित है।

जगन्नाथ पूरी में मिलने वाले प्रसाद को महाप्रसाद कहते हैं, ऐसा कहा जाता है कि इसके पीछे एक खास विधि का उपयोग होता है। इस प्रसाद की खासियत है कि इसे मिट्टी के बर्तन में ही बनाया जाता है, इसके अलावा ये प्रसाद गैस पर नहीं, बल्कि लड़की के चूल्हे पर तैयार होता है। जब प्रसाद बनता है, तो एक के ऊपर एक बर्तन रख दिए जाते हैं।

माना जाता है कि जगन्नाथ पुरी मंदिर की सुरक्षा गरुड़ पक्षी करता है। इस पक्षी को पक्षियों का राजा कहते हैं, यही कारण है कि अन्य पक्षी मंदिर के ऊपर से जाने से डरते हैं। दिलचस्प बात तो ये है, जगन्नाथ मंदिर पुरी के ऊपर एक आठ धातु चक्र है, जिसे नीले चक्र के रूप में जाना जाता है। मान्यता है कि ये चक्र मंदिर के ऊपर से उड़ने वाले जहाजों में कई रुकावटें पैदा कर सकता है, इसलिए विमान भी मंदिर के ऊपर से नहीं उड़ते।

अक्सर मंदिर में आपने एक या दो दरवाजे देखे होंगे, लेकिन जगन्नाथ पुरी मंदिर के चार दरवाजे हैं। बता दें, मुख्य द्वार को सिंहद्वारम कहते हैं, बताया जाता है कि सिंहद्वारम द्वार पर समुद्र लहरों की आवाज सुनाई देती है, लेकिन मंदिर में एंट्री लेते ही लहरों का शोर बिल्कुल खत्म हो जाता है।

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