इस वजह से उज्जैन में महाकाल कहलाए भोलेनाथ-जाने यहाँ.
धार्मिक नगरी उज्जैन पूरी दुनिया में काफी मशहूर है। यहां 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक महाकाल मंदिर स्थित है। इसके अलावा हर 12 साल में कुंभ मेले का भी आयोजन किया जाता है जो सिंहस्थ के नाम से जाना जाता है। इस शहर की और भी कई ऐसी बातें जिससे आप शायद आज तक अनजान हैं तो चलिए जानते हैं मध्य प्रदेश के शहर उज्जैन का नाम तो हर किसी ने सुना होगा। अपनी धार्मिक मान्यताओं के लिए मशहूर यह शहर पूरी दुनिया में दो चीजों के लिए सबसे ज्यादा जाना जाता है। पहला यहां स्थित बाबा महाकाल का मंदिर और दूसरा यहां होने वाला कुंभ। प्राचीन नगरी उज्जैन में मौजूद महाकाल मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंगों में से है। कालों के काल बाबा महाकाल के इस मंदिर के दर्शन करने दूर-दूर से हर साल लाखों की संख्या में भक्त यहां पहुंचते हैं। भगवान शिव के इस स्वरूप का वर्णन शिव पुराण में भी विस्तार से मिलता है।
इसलिए महादेव कहलाए महाकाल –
भोलेनाथ की नगरी उज्जैन हमेशा से ही काल-गणना के लिए बेहद उपयोगी एवं महत्वपूर्ण मानी जाती रही है। देश के नक्शे में यह शहर 23.9 डिग्री उत्तर अक्षांश एवं 74.75 अंश पूर्व रेखांश पर स्थित है। इतना ही नहीं खुद ऋषि-मुनि भी यह मानते आए हैं कि उज्जैन शून्य रेखांश पर स्थित है। कर्क रेखा भी इस शहर के ऊपर से गुजरती है। इसके अलावा उज्जैन ही वह शहर है, जहां कर्क रेखा और भूमध्य रेखा एक-दूसरे को काटती है। इस प्राचीन नगरी की इन्हीं विशेषताओं को ध्यान में रख काल-गणना, पंचांग निर्माण और साधना के लिए उज्जैन को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। यही वजह है कि प्राचीन समय से ज्योतिषाचार्य यहीं से भारत की काल गणना करते आए हैं। काल की गणना की वजह से ही यहां के आराध्य भगवान शिव को महाकाल के नाम से जाना जाता है।
उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर का पौराणिक महत्व भी है। इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव ने यहां दूषण नामक राक्षस का वध कर अपने भक्तों की रक्षा की थी, जिसके बाद भक्तों के निवेदन के बाद भोलेबाबा यहां विराजमान हुए थे। यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से तीसरा ज्योतिर्लिंग है। इसकी खास बात यह है कि यह एक मात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है, जो दक्षिणमुखी है।