बांके बिहारी मंदिर

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मथुरा भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली है. जन्माष्टमी हो या रास लीला या फिर होली, यहां सभी पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाए जाता हैं. जो भी भक्त मथुरा या वृंदावन आता है वह श्री बांके बिहारी मंदिर के दर्शन करना नहीं भूलता. इस मंदिर से जुड़े ऐसे कई रहस्य हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है. भक्तों को मंदिर के सेवायतों से हमेशा से एक शिकायत रहती है की सेवायत बांके बिहारी मंदिर के ठीक से दर्शन नहीं करने देते और चंद मिनटो बाद ही पर्दा लगा देते हैं. आखिर मंदिर में ऐसा क्यों किया जाता है आइए जानते हैं.

देश-विदेश में मथुरा के वृंदावन में स्थित बांके बिहारी जी का मंदिर बेहद फेमस है. मंदिर के सेवायत आशीष गोस्वामी ने बताया कि भक्त अपने आराध्य के दर्शन के लिए उत्सुक रहते हैं लेकिन मंदिर की परंपराओं की वजह से सेवायत कुछ क्षणों बाद ही मंदिर का पर्दा लगा देते हैं. बांके बिहारी जी के दर्शन सदैव श्रद्धालुओं को टुकड़ों में कराए जाते हैं. बांके बिहारी जी के आगे बार-बार पर्दा डाला जाता है. इसकी वजह यह है कि श्रद्धालु बांके बिहारी जी को अधिक देर तक देख न सकें.

मंदिर से गायब हो गए बांके बिहारी
सेवायत आशीष गोस्वामी ने बताया कि एक बार भरतपुर के राजा अपनी रानी के साथ बांके बिहारी मंदिर में दर्शन करने आए. रानी ने जब बांके बिहारी जी को देखा, तो वह उनके मनमोहक रूप को बस देखती ही रह गई. उस दौरान रानी के प्रेम से खुश होकर ठाकुर जी रानी के साथ ही चलने लगे. जब यह दृश्य पंडित जी ने देखा तो मंदिर में बांके बिहारी जी की मूर्ति नहीं है. तो उन्होंने भगवान से वापस मंदिर में चलने के लिए विनती की तभी से हर 2 मिनट के गैप पर बांके बिहारी जी के सामने पर्दा डालने की परंपरा शुरू हुई.

मंदिर में आज भी हैं कई रहस्य
सेवायत आशीष गोस्वामी ने बताया कि बांके बिहारी मंदिर के ऐसे कई अनेक रहस्य हैं जैसे कि वर्ष में केवल एक दिन एक दिन मंगला आरती होना, वर्ष में सिर्फ एक बार भवगान बांके बिहारी जी के चरणों के दर्शन होना. इसके अलावा साल में केवल एक बार बंसी और मुकुट धारण करना. मान्यता के अनुसार, साधक जो बांके बिहारी जी से मनोकामनाएं मांगते है। वह पूरी होती हैं.

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