Siddhivinayak Temple पूरे देश में इस समय गणेश उत्सव मनाया जा रहा है। लोगों ने अपने-अपने घरों में गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित किया। हर कोई विधि-विधान के साथ इनकी पूजा-अर्चना कर रहा है। हर वर्ष इस दौरान महाराष्ट्र के मुंबई में स्थित गणेश जी के सबसे लोकप्रिय मंदिर यानी सिद्धिविनायक मंदिर में बप्पा के दर्शन के लिए लाइनें लगी होती हैं।
कहा जाता है कि गणेश जी की जिन प्रतिमाओं की सूड़ दाईं तरह मुड़ी होती है वे सिद्घपीठ से जुड़ी होती हैं। गणेश जी के इन्हीं मंदिरों को सिद्घिविनायक मंदिर कहते हैं। आप इस वर्ष यहां जा तो नहीं सकते हैं लेकिन हम आपको इस मंदिर की महिमा और इतिहास के बारे में यहां बता रहे हैं।
चतुर्भुजी विग्रह है मंदिर की विशेषता:
सिद्धिविनायक की एक और विशेषता है कि यह चतुर्भुजी विग्रह है। अर्थात् गणेश जी के ऊपरी दाएं हाथ में कमल और बाएं हाथ में अंकुश है। वहीं, नीचे के दाहिने हाथ में मोतियों की माला और बाएं हाथ में मोदक से भरा पात्र है। इनके दोनों तरफ उनकीक पत्नियां ऋद्धि और सिद्धि हैं। इनके माथे पर अपने पिता भोलेनाथ के समान तीसरा नेक्ष और गले में एक सर्प हार है। यह विग्रह ढाई फीट ऊंचा होता है। यह दो फीट चौड़े एक ही काले शिलाखंड से बनाया गया है। इस मंदिर का निर्माण संवत् 1892 में हुआ था। लेकिन अगर सरकारी दस्तावेजों पर गौर किया जाए तो यहां 19 नंवबर 1801 निर्माण तारीख बताई गई है।
सिद्धिविनायक का यह मंदिर पहले छोटा था। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इशका कई बार पुनर्निर्माण हो चुका है। करीब एक दशक पहले 1991 में महाराष्ट्र सरकार ने सिद्धिविनायक निर्माण के लिए 20 हजार वर्गफीट की जमीन प्रदान की थी। इस मंदिर में पांच मंजिल हैं। प्रवचन ग्रह, गणेश संग्रहालय व गणेश विापीठ यहां मौजूद हैं। वहीं, दूसरी मंजिल पर रोगियों के फ्री इलाज के लिए अस्पताल भी मौजूद है। इसी मंजिल पर रसोईघर मौजूद है। इस मंदिर में गर्भग्रह भी मौजूद है।