कोलकाता का दक्षिणेश्वर काली मंदिर

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हुगली नदी के तट पर बसा कोलकाता वैसे तो अपनी ऐतिहासिक विरासत, रंग-बिरंगी संस्कृति और खानपान के लिए प्रसिद्ध है लेकिन दक्षिणेश्वर में स्थित काली मंदिर भी आकर्षण का केंद्र है।

कला-संस्कृति से समृद्ध कोलकाता शहर को पूरब का पेरिस भी कहा जाता है। वैसे तो यहां कई दर्शनीय स्थल हैं लेकिन यहां हुगली नदी (गंगा) के किनारे मां भवतारिणी (काली) का भव्य  ऐतिहासिक मंदिर भी है। यह स्थल प्रख्यात दार्शनिक एवं धर्मगुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस की कर्मभूमि रही है, जो हिंदू नवजागरण के प्रमुख सूत्रधारों में से एक है। रामकृष्ण मिशन के संस्थापक विवेकानंद इनके ही शिष्य थे।

दक्षिणेश्वर मंदिर का निर्माण

दक्षिणेश्वर स्थित काली मंदिर का निर्माण सन्1847 में प्रारंभ हुआ था। स्वप्न में मां के आदेश पर जान बाजार की रानी रासमणि ने इसका निर्माण कार्य शुरू किया और इस भव्य मंदिर में मां की मूर्ति स्थापित की गई। मंदिर के प्रांगण के उत्तर-पश्चिमी कोने में स्थित रामकृष्ण परमहंस के कक्ष को उनकी स्मृति के लिए संरक्षित रखा गया है, जिसमें श्रद्धालु दर्शन के लिए प्रवेश कर सकते हैं। मंदिर के गर्भगृह में हज़ार पंखुडिय़ों वाला चांदी का कमल पुष्प सुशोभित है। वहीं पर मां काली अपने अस्त्र-शस्त्रों के साथ शिव जी के ऊपर खड़ी हैं। यह मंदिर 46 फुट चौड़ा तथा 100 फुट ऊंचा है। इसके पास पवित्र गंगा नदी बहती है, जिसे वहां हुगली नदी के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में 12 गुंबद हैं। यह मंदिर हरे-भरे मैदान में स्थित है। इस विशाल मंदिर के चारों ओर भगवान शिव के बारह मंदिर स्थापित किए गए हैं। मां काली का यह मंदिर विशाल इमारत के रूप में चबूतरे पर स्थित है। इसमें सीढिय़ों के माध्यम से प्रवेश कर सकते हैं। दक्षिण की ओर स्थित यह मंदिर तीन मंला है। ऊपर की दो मंजि़लों पर नौ गुंबद समान रूप से फैले हुए हैं। उन पर सुंदर आकृतियां बनाई गई हैं।

 

मंदिर खुलने का समय

सुबह 5.30 बजे से 10.30 तक और शाम 4.30 से 7.30 तक मंदिर में दर्शन कर सकते हैं। रोज़ाना हजारों की संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं।

आसपास के अन्य दर्शनीय स्थल

कोलकाता में ढेरों स्मारक एवं दर्शनीय स्थल है, जिनमें फोर्ट विलियम, ईडन गार्डन्स, विक्टोरिया मेमोरियल, सेंट पॉल कैथेड्रल, नखोदा मस्जिद, मार्बल पैलेस, पारस जैन मंदिर और बैलूर मठ प्रमुख हैं। बैलूर मठ की स्थापना 1899 में स्वामी विवेकानंद ने की थी, यह रामकृष्ण मिशन का मुख्यालय है। यहां स्थित बॉटनिकल गार्डन वातावरण को बहुत शांत और सुंदर बनाता है। इस गार्डन में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा बरगद का पेड़ है, जो 10,000 वर्ग मीटर में फैला है। इसकी अनगिनत शाखाएं हैं। दक्षिणेश्वर मंदिर के अलावा सदर स्ट्रीट से 6 किमी. दक्षिण में स्थित काली मंदिर कोलकाता की संरक्षक देवी काली मां को समर्पित है। दरअसल यह महादेव की अद्र्धांगिनी पार्वती का विनाशक रूप है।कोलकता की दुर्गापूजा भी विश्वविख्यात है। यह मंदिर प्रात: 3.00 बजे से रात्रि 8.00 बजे तक खुलता है। इसके अलावा यहां स्थित बिड़ला तारामंडल भी पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है। यहां के संग्रहालय और पुस्तकालय में दुर्लभ पुस्तकों और वस्तुओं का संग्रह देखने को मिलता है। यहां आने वाले पर्यटक यात्रा के स्मृति-चिह्न स्वरूप तांत और सिल्क की साडिय़ां और खजूर से बना गुड़ अपने साथ लेकर जाते हैं। रशोगुल्ला और सॉन्देश कोलकाता की विश्वप्रसिद्ध मिठाइयां हैं। रेल और वायु मार्ग के अलावा यह ऐतिहासिक शहर देश के प्रमुख राजमार्गों से भी जुड़ा है। वैसे तो यहां भक्तजन साल-भर मां काली के दर्शन करने आते हैं पर सर्दियों के मौसम में यहां घूमने-फिरने का आनंद ही कुछ और है।

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